Love Story by Sumit Azad

Petrol Pump (पेट्रोल पंप ) || A Love Story written by Sumit Aza

भरी दोपहर में चंदौसी शहर के पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल डलबाने के लिए लगी लम्बी लाइन में लगे कमलेश का जैसे जी नंबर आया ,अचानक से उसके बराबर से एक सुंदरी ने स्कूटी रोकी और हड़बड़ी में बोली “ भैया मुझे बहुत जल्दी है प्लीज पहले मेरी स्कूटी में पेट्रोल डाल दो”. 

“मैं क्या यहाँ झक मारने के लिए खड़ा हूँ मेरा नंबर है तो तुम कैसे डलवा सकती हो “ ये डायलॉग मारने के लिए जैसे ही कमलेश ने उस सुंदरी की तरफ देखा तो उसके तो शब्द ही बदल गए। “हाँ पहले इनके में डाल दो “ का इशारा करते हुए कमलेश उस सुंदरी को टकटकी बाँध के देखता रहा। 

इतनी गर्मी में भी  मदहोश होने में सिर्फ कमलेश का ही हाथ नहीं था , बल्कि उस सुंदरी की उन बड़ी बड़ी झील सी  ऑंखें , गुलाब से भी ज्यादा कोमल और संतरे से भी ज्यादा रसीली उसके होंठ और क्रीम से लबालब उसके नाजुक गालों का भी पूरा पूरा हाथ था। 

जिस रफ़्तार से उस सुंदरी की स्कूटी में पेट्रोल प्रवेश कर रहा था उसी रफ़्तार से वो सुंदरी कमलेश के हृदय में प्रवेश कर रही थी । हालांकि उस सुंदरी की मांग में भरा सिन्दूर और गले में पड़ा मंगलसूत्र कमलेश के सपनो को चूर चूर करने के लिए काफी थे लेकिन कमलेश को शिवाय उस सुंदरी के चेहरे के कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था। 

पेट्रोल पंप के बाद ऑफिस फिर ऑफिस के बाद बाजार फिर बाजार के बाद कमलेश घर गया लेकिन उसका मन उसी पेट्रोल पंप पर अटका हुआ था। वो अगले कई हफ़्ते हर रोज वक्त पेट्रोल पंप पर इस उम्मीद से ज्यादा  वो फिर से कभी मिल जाए तो अपने दिल की बात उसे बता ये। लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगती। 

चंदौसी शहर था तो छोटा सा ही लेकिन कमलेश ने सुंदरी पहले भी कभी देखी भी नहीं थी , और वो इसलिए क्यूंकि वो सुंदरी अलीगढ की की रहने वाली थी और हाल ही में उसके पति कांस्टेबल सूर्य प्रताप का अलीगढ से चंदौसी कोतवाली में तबादला हुआ था.

बहुत प्रयास करने के बाद जब कमलेश की उम्मीद  टूटने लगी तो उसको आखिर उम्मीद भगवान ही बचा था, अपने ही घर के छोटे से मंदिर में रखी कृष्णा की मूर्ति के आगे घुटने टेककर प्रार्थना करने लगा। थोड़ी ही देर में उसके दरवाजे की घंटी बजी , अब उसके घर में उसके अलाबा कोई रहता नहीं था तो दरवाजा उसे ही खोलना था, प्रार्थना बीच में रोककर दरवाजा खोलने चला गया , जैसे ही दरवाजा खोला, तो कमलेश के चेहरे पर एकदम खुशियों की लहर आ गयी जैसे मानो भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली हो. 

सामने वो सुंदरी और उसका पति खड़ा था , पति ने आगे बढ़ते हुए कहा “किसी ने बताया था की आपके घर में किराये के लिए कमरा खाली  है, हमें कमरा चाहिए किराये पर, हम 2 लोग है मैं और मेरी पत्नी खुसबू। 

कमलेश ने हड़बड़ी में बोला “हाँ…. हाँ…….हाँ  ….. आओ आपको कमरा दिखाता हूँ , खुसबू और उसके पति कमरा देखने लगे और कमलेश खुसबू को लेकिन इस बार कमलेश को खुसबू की मांग का सिन्दूर और गले में पड़ा मंगलसूत्र साफ़ साफ़ दिख रहा था। कमलेश को समझ नहीं आ रहा था की इस मुलाकात की वो खुसी मनाये या अपने सपनो की बर्बादी का जश्न मनाये। 

 अगले ही दिन सूर्या प्रताप अपनी पत्नी के साथ सामान लेकर कमलेश के घर शिफ्ट हो गया। कमलेश ने भी खुसबू के लिए जो भी वहम था वो सब निकाल दिया , या यूँ कहिये की ऐसा कमलेश को लगा था की उसने निकाल दिया है अपना वहम। 

कमलेश अपने काम से काम रखता लेकिन कुछ दिन बाद ही उसको आभास हुआ की खुसबू और सूर्या की आपस में बहुत लड़ाई होती है , शादी को सिर्फ 5 महीने हुए है और शायद एक भी दिन ऐसा न जाता था, जिस दिन उनकी आपस में लड़ाई न होती हो. कमलेश चाह कर के भी कभी खुसबू या सूर्यप्रताप से पूछ नहीं पाता , क्यूंकि सुबह कमलेश ऑफिस जाता और शाम को ही घर आ पता था , कभी उसका मन होता भी था खुसबू से कुछ पूछने का तो सूर्या भी शाम को आ जाता था तो उसके सामने उसकी हिम्मत न पड़ती , लेकिन खुशबू का उदास चेहरा कमलेश को बहुत बेचैन कर देता था। 

कुछ दिन बाद सूर्या की ड्यूटी रात्रि में पड़ गयी , कमलेश ऑफिस से आया तो खुसबू को अकेला आँगन में उदास बैठा देख चौंक गया , उसने पूछा सूर्या भाई आये नहीं क्या अभी तक ?

“वो थोड़ी देर  गए है उनकी आज से नाइट ड्यूटी है “ कोमल सी आवाज में खुसबू ने सहमते हुए कमलेश को जबाव दिया। कमलेश खुसबू की ये उदासी और न देख पाया फिर उसने उसके दुःख का कारण पूछा। 

लेकिन खुसबू के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल पा रहा। कमलेश के बार बार पूछने पर भी खुसबू बस कमलेश को अजीब नजरो से देखती रही लेकिन कोई जबाव नहीं दे पा रही थी। कमलेश ने भी फिर ज्यादा जबरदस्ती नहीं की और अपने कमरे में चला गया। 

लेकिन ये क्या खुसबू पीछे पीछे कमलेश के कमरे में चल दी , कमरे में पहुंचते ही कमलेश ने पीछे देखा तो खुसबू आँखों में हलके हल्के आंसू लेकर खड़ी थी, कमलेश खुसबू को अपने कमरे में ऐसे देख कर दंग रह गया। एक तो खुसबू का जवानी से भरा बदन कमलेश को उत्तेजना से भर रहा था वहीँ उसके आँखों के आंसू उसके ह्रदय में पीड़ा पंहुचा रहे थे। 

देखते ही देखते खुसबू कमलेश के गले से लिपट गयी और तेज़ तेज़ आवाज से रोने लगी। कमलेश तो ये अवस्था देखकर इसी असमंजन में था की आखिर वो करे तो क्या करे , जिस लड़की को देखकर जीवन में पहली बार जिसके ह्रदय में प्रेम की गंगा लहराई हो और वही लड़की उसके गले से लिपटी है। 

बड़ी हिम्मत करके कमलेश ने भी अपने दोनों हाथ उठाये और खुसबू की कोमल कमर पर रख कर जोर से गले लगा लिया। लेकिन तभी फिर से कमलेश को जब उसके आंसू की याद आयी तो उसे चुप कराते हुए बैड पर बिठाया। 

कमलेश : खूबसू आप खुद को संभालो और मुझे बताओ हुआ क्या है। 

खुसबू : कमलेश मैं जीना नहीं चाहती हूँ 

कमलेश : लेकिन क्यों ऐसा क्या हुआ है ?

खुसबू : मेरी जिंदगी बिलकुल नर्क बन गयी है। मैं बिल्कुल अकेली पड़ गयी हूँ.

कमलेश : क्यों ? इतने अच्छे पति है तो आपके साथ। 

खुसबू : पति नहीं जल्लाद है जल्लाद , रोज दारु पी पी के पिटाई करता है , घर वालों ने सिर्फ इसकी नौकरी के चक्कर में मेरी  फोड़ दी। मुझे नहीं रहना इसके साथ लेकिन मेरी न तो मेरे खुद के घर वाले सुनते न मेरे ससुराल बाले। मैं बिलकुल अकेली पड़ गयी हूँ। 

कमलेश : अरे नहीं ऐसा मत सोचा , तुम अकेली नहीं हो मैं आपके साथ पहले रोना बंद करो और शांत हो जाओ। 

ये कहते हुए कमलेश ने खुसबू को अपने सीने से लगा लिया , खुसबू कमलेश के इस अपनेपन में मदहोश सी होने लगी , और कमलेश तो पहले से ही अपने सपनो की रानी के गले लग कर अपना होश खो चुका था. दोनों बातें करते करते एक दूसरे के और करीब आते गए , कमलेश ने धीरे से खुसबू को बैड पर लेटाया और बोला “अब आप आराम करो मैं आपके लिए चाय लेकर आता हूँ “

जैसे ही कमलेश जाने लगा खुसबू ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा “ कहीं मत जाओ कमलेश मुझे बहुत डर लग रहा है “ ये कहते हुए खुसबू की आँखों में फिर से आंसू आ गए , कमलेश ने आंसू पोंछते हुए जैसे ही खुसबू के गालों को स्पर्श किया , कमलेश खुद के दिल में रखे प्रेम को रोक नहीं पाया और अपने सभी जज्बातों को उड़ेलते हुए अपने होठ खुसबू के रसीले होठ पर रख दिए और उसे कस के पकड़ लिया , खुसबू एकदम हड़बड़ी में उठी और बोली “छोडो कमलेश , ये क्या कर रहे हो “

कमलेश ने थोड़ा शर्मिंदा होते हुए माफ़ी मांगी और कहा “ मुझे माफ़ करना खुसबू मैं खुद को संभाल नहीं पाया , आप पहले मुझे अपनी पूरी बात बताओ आपको किस बात कर डर है और आपके पति आपको क्यों मारते है “

खुसबू : पहले वादा करो तुम मेरा साथ दोगे ?

कमलेश : हाँ हाँ मरते दम तक साथ दूंगा। आप पूरी बात बताओ। 

खुसबू : मैं बचपन से सतीश से बहुत प्यार करती हूँ लेकिन घर वालों ने जबरदस्ती मेरी शादी सूर्या से करा दी क्यूंकि सतीश ऑटो चलाता है और सूर्या एक सरकारी नौकर है। लेकिन शादी के बाद जबसे सूर्या को पता चला है वो हर रोज मुझे मारता है और सतीश को जान से मारने की धमकी देता है, कल सतीश मुझसे मिलने आ रहा है कल मैं उसके साथ यहाँ से जाना चाह्ती हु और पूरी ज़िन्दगी सिर्फ सतीश के साथ बिताना चाहती हूँ , लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा है कल सूर्या को कैसे संभाला जायेगा , बोलो क्या तुम कर सकते हो मेरी मदद ?

ये बोलते हुए खुसबू कमलेश के गले से लिपट गयी , कमलेश ये सुनकर हक्काबक्का रह गया उसकी समझ ही नहीं आ रहा की अपने पहले प्यार को ऐसे गले से लिपटे देख उसका आनंद ले या ये सोचकर आँशु बहाये की उसका प्रेम उसको कभी मिल ही नहीं सकता। 

कमलेश ने सहायता के लिए हामी भरते हुए खुसबू को शांत किया और बोला “ आप बिना किसी चिंता के सो जाओ सुबह आपके पति के आने से पहले ही आप निकल जाना सूर्या को मैं संभाल लूंगा। खुसबू अपने कमरे में चली गयी , नींद तो दोनों में से किसी को नहीं आयी लेकिन सुबह की पहली किरण निकलने को ही थी की खुसबू पूरी तरह से सज के अपने बैग के साथ कमलेश के पास आयी , कमलेश हड़बड़ी में उठा और बोला “ अरे खुसबू इतनी जल्दी उठ गयी “

अरे इश्क़ में नींद कहाँ आती है कमलेश जो मैं उठती, सतीश के बारे में सोचते सोचते सुबह कब हो गयी पता ही न चला। सूर्या ड्यूटी से 7 बजे आएंगे इसलिए मुझे अभी निकलना होगा , सतीश 8 बजे मुझे पुलिया वाले पेट्रोल पंप पर मिलेगा फिर हम 9 बजे तक चंदौसी से गायब हो चुके होंगे बस तुम सूर्या को 9 बजे तक संभाल लेना। 

इतना कहते ही खुसबू लम्बे लम्बे कदम से घर से जाने लगी , जैसे जैसे खुसबू कदम आगे बड़ा रही थी , कमलेश के ह्रदय में अजीब सा दर्द बढ़ता जा रहा था लेकिन खुसबू के के चेहरे की हसी से उसे इसका एहसास नहीं हो पा रहा। 

कमलेश ने अचानक रोकते हुए कहा “अच्छा सुनो , अगर मैंने धोखा दे दिया तो ?

खुसबू : “मतलब “

कमलेश : मतलब सूर्या को मैंने सबकुछ बता दिया तो ?

ये सुनकर खुसबू कुछ कदम वापिस आयी और मुस्कराते हुए कमलेश के गालों पर अपने रसीले होंठो से चुम्बन करके वापिस चली गयी। 

खुसबू घर से जा चुकी थी और कमलेश अब आँगन में बैठे बैठे सूर्या का इंतजार करने लगा, 1 घंटे बाद दरवाजे की घंटी बजी , कमलेश दौड़ता हुआ दरवाजे पर गया और जैसे ही दरबाजा खोला, तो दरवाजे पर सूर्या नहीं बल्कि फटे हुए कपड़ो में खुसबू थी और उसके पीछे खड़े थे 4 -5 पुलिस वाले। 

इससे पहले कमलेश को कुछ समझ आता , खुसबू एकदम चीखते हुए बोली “यही है खूनी , इसी ने खून किया है मेरे पति का , पकड़ लो इसे। पुलिस वालों ने तुरंत कमलेश  को हथकड़ी पहनाई और घर की तलासी लेने लगे, तलासी लेने पर खुसबू के कमरे में सूर्या की लाश और कमलेश के कमरे में तमंचा मिला जिससे सूर्या का क़त्ल किया गया। 

कमलेश को ये समझ तो आ गया की ये सब खेल खुसबू ने रचा है , लेकिन खुसबू ने इतनी चतुराई से ये षड़यंत्र रचा की अब कमलेश कितनी भी सफाई दे ले लेकिन पुलिस की नज़रों में अब वो अपराधी बन चुका था। एक कमलेश का प्रेम था की उसकी खुसी के लिए खुद की जान खतरे में डाल दी और एक खुसबू का प्रेम था जिसने सतीश को पाने के लिए पति की जान ही ले ली और कमलेश की ज़िन्दगी बर्बाद कर दी। 

पुलिस ने जल्दी जल्दी लाश को एम्बुलेंस में रखा और सतीश को हथकड़ी पहना कर गाड़ी में बैठाया साथ ही खुसबू का बयान लेने के लिए उसे भी गाड़ी में बैठाकर चंदौसी कोतवाली में ले जाने लगे, कमलेश अब भी बस खुसबू को घूरते जा रहा था , लेकिन इस बार उसकी आँखों में प्रेम की वजाय अजीब सा खौफ और क्रोध था। रास्ते में कमलेश की नज़र उसी पेट्रोल पंप पर पड़ी जिस पेट्रोल पंप से उसकी कहानी शुरू हुई थी , कुछ सेकंड में ही पुरानी सभी यादें और खुसबू की बातें याद आने लगी , और अब कमलेश के क्रोध का आवेश चरम सीमा पर था जो अचानक फूटा और हड़बड़ी में कमलेश ने पास बैठे कांस्टेबल से बन्दूक छीनी और खुसबू के सीने में दाग दी। और फिर गाड़ी निकल कर जैसे ही कमलेश भागने लगा पीछे से पुलिस ने गोली चलाई , गोली कमलेश के पैर पर मारने के लिए पुलिस ने नीचे चलाई लेकिन शायद कमलेश खुद चाहता था की गोली सीने में लगे और वो जीवन त्याग दे इसलिए लेट गया , हड़बड़ी में चली २-3 गोली में से एक गोली ने कमलेश की आखिरी इच्छा पूरी कर दी। 

और देखते ही देखते चंदौसी का वो पेट्रोल पंप कमलेश की प्रेम कहानी की शुरुआत और अंत का साक्षी बन के रह गया।  

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